पञ्चांग के पाँचों अंगों तथा राहुकाल के विषय में जानने के बाद अब यमगण्ड के विषय में चर्चा करते हैं | जैसा कि नाम से ही विदित होता है – Vedic Astrologers यमगण्ड को भी पूर्ण रूप से वर्जित काल ही मानते हैं | ऐसा माना जाता है कि इस अवधि में किसी भी कार्य का आरम्भ किया जाए तो उसके पूर्ण होने में सन्देह रहता है |
किन्तु इस सबसे ऊपर व्यक्ति का अपना कर्म होता है | व्यक्ति में कर्म करने की सामर्थ्य और योग्यता है तो अशुभ मुहूर्त को भी अनुकूल बना सकता है |
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