ध्यान की तैयारी की बात कर रहे हैं तो आगे बढ़ने से पूर्व ध्यान की तैयारी से सम्बद्ध कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्यों को भी समझ लेना आवश्यक होगा |
ध्यान के समय भोजन का प्रभाव :
योग का मनोविज्ञान चार प्राथमिक स्रोतों का वर्णन करता है – चार प्राथमिक इच्छाएँ जो हम सभी को प्रेरित करती हैं, और ये हैं – भोजन, सम्भोग, निद्रा और आत्मरक्षण की अभिलाषा | इन चारों इच्छाओं में असन्तुलन से शारीरिक और भावनात्मक दुष्परिणाम होते हैं, जिनके कारण ध्यान केन्द्रित करने की सामर्थ्य में व्यवधान उत्पन्न होता है |
ध्यान के दृष्टिकोण से ताज़ा और सादा भोजन स्वास्थ्यवर्द्धक होता है, न कि अधिक पका हुआ, अधिक चिकनाई से युक्त अथवा अधिक तला भुना | असन्तुलित आहार से पाचन सम्बन्धी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं जिनसे ध्यान की प्रक्रिया में व्यवधान उत्पन्न होता है | ताज़ा, सादा और प्राकृतिक आहार पोषक होता है, सुपाच्य होता है और इसीलिए लाभदायक होता है |
जिस वातावरण में भोजन किया जाए वह आनन्ददायक और सकारात्मक होना चाहिए | अज के दिनों में जहाँ पति पत्नी और बच्चे अपनी अपनी व्यस्तताओं के चलते सारा दिन घर से बाहर रहने को विवश होते हैं, वहाँ साथ बैठने और दिन भर के घटनाक्रम पर चर्चा करने का सौभाग्य उन्हें बस भोजन के समय ही मिलता है | परिवार के लोगों में इतनी समझ होनी चाहिए कि भोजन करते समय किसी भी प्रकार की अप्रिय अथवा नकारात्मक चर्चा न करें | प्रसन्नचित्त रहना उत्तम स्वास्थ्य की कुँजी है | जो लोग अच्छे स्वास्थ्य के इस महत्त्वपूर्ण रहस्य के प्रति जागरूक हैं वे जानते हैं कि भोजन करते समय उन्हें प्रसन्नचित्त रहना है | मन की प्रसन्न और आह्लादक स्थिति का हमारे पाचन तन्त्र और अन्तर्ग्रन्थियों से मल आदि के निष्कासन आदि पर व्यापक प्रभाव पड़ता है |
यदि हम अपने शरीर की कार्यप्रणाली और भाषा को समझ जाते हैं तो बहुत से रोगों और शारीरिक समस्याओं से बचा जा सकता है | जब सुस्वादु और पौष्टिक भोजन आनन्ददायक वातावरण में प्रसन्नचित्त से ग्रहण किया जाता है तो हमारा शरीर लार और आमाशय का रस पैदा करता है | जिससे भोजन को पचाने में सहायता मिलती है | उदासीनता अथवा क्रोध की स्थिति में अथवा नकारात्मक चर्चाओं के साथ किया गया भोजन पाचन सम्बन्धी समस्याएँ उत्पन्न करता है |
https://www.astrologerdrpurnimasharma.com/2019/11/16/meditation-and-its-practices-17/
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