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बुधपञ्चविंशतिनाम स्तॊत्रम्‌

बुध को सामान्यतः एक सौम्य ग्रह माना जाता है | मिथुन तथा कन्या राशियों और आश्लेषा, ज्येष्ठा तथा रेवती नक्षत्रों का अधिपतित्व इसे प्राप्त है | कन्या राशि बुध की उच्च राशि है तथा मीन में यह नीच का हो जाता है | सूर्य, शुक्र और राहु के साथ इसकी मित्रता तथा चन्द्रमा के साथ इसकी शत्रुता है और शनि, मंगल, गुरु और केतु के साथ यह तटस्थ भाव में रहता है | हरे वर्ण के बुध की धातु पारा मानी जाती है, ज्योतिष के अनुसार जो चन्द्रमा के प्रभाव से तरल हो जाती है तथा शनि और मंगल के प्रभाव से ठोस और गुरु के प्रभाव से भारी हो जाती है | जिस व्यक्ति की कुण्डली में बुध शुभ स्थिति या प्रभाव में होता है वह व्यक्ति रूपवान, मधुरभाषी तथा स्पष्टवक्ता होता है | साथ ही ऐसे व्यक्तियों के अध्ययन और व्यवसाय का क्षेत्र प्रायः गणित, व्यापार, डॉक्टर-वैद्यक, अध्ययन-अध्यापन, मिडिया, इंजीनियरिंग तथा कम्प्यूटर आदि से सम्बन्धित माना जाता है | बुध त्वचा तथा पृथिवी तत्व प्रधान ग्रह होने के साथ ही वायु, पित्त और कफ तीनों गुणों का भी प्रतिनिधित्व करता है | मस्तिष्क, वाणी, समस्त स्नायुतन्त्र और माँसपेशियों का आधिपत्य भी बुध के ही पास है | अतः बुध यदि अच्छी स्थिति में नहीं होगा तो इनमें से किसी भी प्रकार के रोग की सम्भावना जातक को हो सकती है | इसके अतिरिक्त जातक का स्वभाव अकारण ही पारे के समान नरम गरम होता रह सकता है | इसलिए बुध के अशुभ प्रभाव को दूर करके उसे बली बनाने के लिए कुछ मन्त्रों आदि के जाप का विधान Vedic Astrologer बताते हैं | प्रस्तुत हैं उन्हीं में से एक “बुधपञ्चविंशतिनाम स्तॊत्रम्‌”… इसका उल्लेख पद्मपुराण में उपलब्ध होता है तथा इसके ऋषि प्रजापति हैं…

|| अथ श्री बुधपञ्चविंशतिनाम स्तॊत्रम्‌ ||

|| ॐ श्री गणॆशाय नम: ||

अस्य श्री बुधपञ्चविंशतिनाम स्तॊत्रमन्त्रस्य प्रजापतिर्ऋषि:, त्रिष्टुप्‌ छन्द:, बुधॊ दॆवता, बुधप्रीत्यर्थं जपॆ विनियॊग: ||

बुधॊ बुद्धिमतां श्रॆष्ठॊ बुद्धिदाता धनप्रद: |

प्रियंगुकलिकाश्याम: कंजनॆत्रॊ मनॊहर: ||

ग्रहॊपमॊ रौहिणॆयॊ नक्षत्रॆशॊ दयाकर: |

विरुद्धकार्यहन्ता च सौ‍म्यॊ बुद्धिविवर्धन: ||

चन्द्रात्मजो विष्णुरूपी ज्ञानि ज्ञॊ ज्ञानिनायक: |

ग्रहपीडाहरॊ दारपुत्र धान्यपशुप्रद: ||

लॊकप्रिय: सौ‍म्यमूर्तिर्गुणदॊ गुणिवत्सल: |

पञ्चविंशतिनामानि बुधस्यैतानि य: पठॆत्‌ ||

स्मृत्वा बुधं सदा तस्य पीडा सर्वा विनश्यति |

तद्दिनॆ वा पठॆद्यस्तु लभतॆ स मनॊगतम्‌ ||

|| इति श्री पद्मपुराणॆ बुधपञ्चविंशतिनाम स्त्रॊत्रम्‌ सम्पूर्णम् ||

अर्थ स्पष्ट है : बुद्धिमानों में श्रेष्ठ, बुद्धिदाता, धनप्रद, प्रियंगुकलिका के समान श्याम, कंजनेत्र, मनोहर, ग्रहोपम, रोहिणेय, नक्षत्रेश, दयाकर, विरुद्धकार्यहन्ता, सौम्य, बुद्धिविवर्धन, चन्द्रात्मज, बिष्णुरूपी, ज्ञानी, ज्ञ:, ज्ञानिनायक, ग्रहपीड़ाहर, दारपुत्र, धान्यपशुप्रद, लोकप्रिय, सौम्यमूर्ति, गुणदाता और गुणिवत्सल – बुध के इन पच्चीस नामों का जो व्यक्ति स्मरण करता है उसकी समस्त बाधाएँ दूर होकर मनोवाँछित प्राप्त होता है |

हम सब ईश्वराधन करते हुए कर्तव्य मार्ग पर अग्रसर रहें और अपना लक्ष्य प्राप्त करें यही कामना है…

http://www.astrologerdrpurnimasharma.com/2018/05/30/budha-panchvinshatinaam-stotram/

 

 

बुध का वृषभ में गोचर

बुध को सामान्यतः एक सौम्य ग्रह माना जाता है | मिथुन तथा कन्या राशियों और आश्लेषा, ज्येष्ठा तथा रेवती नक्षत्रों का अधिपतित्व इसे प्राप्त है | कन्या राशि बुध की उच्च राशि है तथा मीन में यह नीच का हो जाता है | सूर्य, शुक्र और राहु के साथ इसकी मित्रता तथा चन्द्रमा के साथ इसकी शत्रुता है और शनि, मंगल, गुरु और केतु के साथ यह तटस्थ भाव में रहता है | हरे वर्ण के बुध की धातु पारा मानी जाती है, ज्योतिष के अनुसार जो चन्द्रमा के प्रभाव से तरल हो जाती है तथा शनि और मंगल के प्रभाव से ठोस और गुरु के प्रभाव से भारी हो जाती है | जिस व्यक्ति की कुण्डली में बुध शुभ स्थिति या प्रभाव में होता है वह व्यक्ति रूपवान, मधुरभाषी तथा स्पष्टवक्ता होता है | साथ ही ऐसे व्यक्तियों के अध्ययन और व्यवसाय का क्षेत्र प्रायः गणित से सम्बन्धित, व्यापार से सम्बन्धित, डॉक्टर-वैद्यक अथवा अध्ययन-अध्यापन से सम्बन्धित माना जाता है | इसके अतिरिक्त आजकल मीडिया तथा कम्प्यूटर और इंजीनियरिंग आदि के क्षेत्र के लिए भी बुध की ओर देखते हैं | बुध त्वचा तथा पृथिवी तत्व प्रधान ग्रह है | साथ ही वायु, पित्त और कफ तीनों गुणों का भी प्रतिनिधित्व करता है | मस्तिष्क, वाणी, समस्त स्नायुतन्त्र और माँसपेशियों का आधिपत्य भी बुध के ही पास है | अतः बुध यदि अच्छी स्थिति में नहीं होगा तो इनमें से किसी भी प्रकार के रोग की सम्भावना जातक को हो सकती है | इसके अतिरिक्त जातक का स्वभाव अकारण ही पारे के समान नरम गरम होता रह सकता है | कल यानी 27 मई को प्रातः 8:23 के लगभग बुध का वृषभ राशि और कृत्तिका नक्षत्र में गोचर होगा जहाँ भगवान् भास्कर पहले से विद्यमान हैं | वहाँ से दस जून को प्रातः 7:33 पर मिथुन राशि में प्रविष्ट हो जाएगा | तो, जानने का प्रयास करते हैं बुध के वृषभ राशि में गोचर के विभिन्न राशियों पर किस प्रकार के प्रभाव हो सकते हैं…

मेष – आपके लिए तृतीयेश और षष्ठेश होकर बुध का गोचर आपके द्वितीय भाव में हो रहा है | आपकी सम्वाद शैली इस अवधि में प्रभावशाली रहेगी, किन्तु थोड़ा Diplomatic होने की आवश्यकता है | सत्य बोलें, किन्तु कड़वा न बोलें | आवश्यकता होने पर आर्थिक रूप से भाई बहनों का सहयोग भी प्राप्त हो सकता है | यद्यपि कुछ विवाद भी सम्भव है, किन्तु अन्त में परिणाम आपके पक्ष में ही होगा | किसी कोर्ट केस में देरी की सम्भावना है |

वृष – आपका द्वितीयेश और पंचमेश होकर बुध का गोचर आपकी राशि में ही हो रहा है | आपके व्यवहार में उदारता, कोमलता एवं सौम्यता दिखाई देगी जिसका प्रभाव आपके व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन पर निश्चित ही पड़ेगा | आपकी सम्वाद तथा लेखन शैली इस अवधि में प्रभावशाली रहेगी तथा इसके कारण आपको अर्थलाभ की भी सम्भावना है | सन्तान के लिए समय अनुकूल प्रतीत होता है |

मिथुन – आपके लिए बुध लग्नेश और चतुर्थेश होकर योगकारक है तथा आपकी राशि से बारहवें भाव में गोचर कर रहा है | एक ओर जहाँ आपके अपने लिए और परिवार के लिए स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएँ हो सकती हैं वहीं दूसरी ओर इस अवधि में आप विदेश यात्रा के लिए भी जा सकते हैं अथवा अपना निवास बदलने की योजना बना सकते हैं | किसी कारणवश मानसिक तनाव हो सकता है | योग और प्राणायाम को अपनी दिनचर्या का अंग बना लेंगे तो इस समस्या से बच सकते हैं |

कर्क – कर्क राशि के लिए तृतीयेश और द्वादशेश होकर बुध का गोचर आपके लाभ स्थान में हो रहा है | यदि आपका व्यवसाय किसी रूप में विदेश से सम्बद्ध है तो आपके लिए लाभ की सम्भावना है | भाई बहनों का सहयोग भी अपने कार्य में आपको प्राप्त रहने की सम्भावना है | मित्रों के साथ आमोद प्रमोद में भी समय व्यतीत हो सकता है | कार्य के सिलसिले में आपको दूर पास की यात्राएँ भी करनी पड़ सकती हैं, किन्तु इन यात्राओं के दौरान आपको अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा |

सिंह – आपके लिए बुध द्वितीयेश और एकादशेश होकर आपके दशम भाव में गोचर कर रहा है | आपके लिए विशेष रूप से भाग्योदय का समय प्रतीत होता है | व्यवसाय में प्रगति, नौकरी में पदोन्नति तथा अर्थ और यश प्राप्ति के संकेत हैं | साथ ही यदि आप कोई नया कार्य आरम्भ करना चाहते हैं तो उसके लिए भी अनुकूल समय प्रतीत होता है | धार्मिक तथा आध्यात्मिक गतिविधियों में आपकी रूचि बढ़ सकती है | अपनी आकाँक्षाओं की पूर्ति में आपको अपने पिता का सहयोग भी प्राप्त होता रहेगा |

कन्या – आपके लिए आपका लग्नेश तथा दशमेश होकर बुध योगकारक ग्रह है तथा भाग्य स्थान में गोचर कर रहा है | आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन के योग हैं | समाज में आपका मान-सम्मान तथा प्रभाव में वृद्धि की सम्भावना है | साथ ही कार्य की दृष्टि से भी यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | नौकरी में हैं तो आप वर्तमान नौकरी छोडकर कोई अन्य नौकरी भी कर सकते हैं | अपना स्वयं का व्यवसाय है तो कार्य के सिलसिले में लम्बी विदेश यात्राओं के भी योग बन रहे हैं जहाँ आप बहुत समय तक व्यस्त रह सकते हैं |

तुला – आपके लिए बुध भाग्येश तथा द्वादशेश है तथा आपके अष्टम भाव में गोचर कर रहा है | अचानक ही धन हानि की सम्भावना है | या हो सकता है कि आप कोई रहस्य जानने के प्रयास में अपने व्यक्तिगत अथवा व्यावसायिक जीवन को स्वयं ही कोई हानि पहुँचा लें | अतः सावधान रहने की आवश्यकता है | रहस्य को रहस्य ही रहने दें | विदेश यात्राओं के योग हैं किन्तु ये यात्राएँ सम्भव है आशा के अनुकूल न सिद्ध हों, अतः इन्हें कुछ समय के लिए स्थगित करना ही हित में रहेगा | स्वास्थ्य के प्रति भी सावधान रहने की आवश्यकता है |

वृश्चिक – आपके लिए बुध अष्टमेश और एकादशेश है तथा आपके सप्तम भाव में गोचर कर रहा है | यदि पार्टनरशिप में कोई कार्य कर रहे हैं तो लाभ की सम्भावना है | किन्तु आपके स्वभाव में नकारात्मकता आपके व्यक्तिगत तथा व्यावसायिक जीवन पर विपरीत प्रभाव डाल सकती है | साथ ही किसी ग़लतफ़हमी के कारण जीवन साथी के साथ सम्बन्धों में भी तनाव उत्पन्न हो सकता है | अच्छा यही रहेगा कि कार्य से अवकाश लेकर कुछ समय के लिए कहीं भ्रमण के लिए चले जाएँ | स्वास्थ्य का ध्यान रखने की भी आवश्यकता है |

धनु – आपके लिए सप्तमेश और दशमेश होकर बुध योगकारक हो जाता है तथा आपकी राशि से छठे भाव में गोचर कर रहा है | अपने जीवन साथी के स्वास्थ्य का विशेष रूप से ध्यान रखने की आवश्यकता है | साथ ही जीवन साथी के साथ किसी प्रकार का तनाव भी इस अवधि में सम्भव है | कार्य क्षेत्र में आपका प्रदर्शन अच्छा रहेगा जिसके फलस्वरूप नौकरी में पदोन्नति अथवा अपना व्यवसाय है तो उसमें भी प्रगति की सम्भावना है | किसी कोर्ट केस का परिणाम आपके पक्ष में आ सकता है |

मकर – बुध आपका षष्ठेश और भाग्येश है तथा आपकी राशि से पञ्चम भाव में गोचर कर रहा है | आप जो भी निर्णय इस अवधि में लेंगे सोच विचार कर ही लेंगे जिसके कारण आपके कार्य भी समय पर पूर्ण होने की सम्भावना है | आप उच्च शिक्षा के लिए अथवा कोई नया कोर्स करने के लिए किसी अन्य स्थान पर जा सकते हैं | आपकी सन्तान के लिए भी यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | प्रेम सम्बन्धों में भी सुधार की सम्भावना है | धार्मिक कार्यों में भी आपकी रूचि बढ़ सकती है |

कुम्भ –  आपका पंचमेश और अष्टमेश होकर बुध आपकी राशि से चतुर्थ भाव में गोचर कर रहा है | आपको अचानक ही किसी ऐसे स्थान से लाभ हो सकता है अथवा नौकरी का निमन्त्रण प्राप्त हो सकता है जहाँ के विषय में आप आशा छोड़ चुके होंगे | किन्तु परिवार में किसी प्रकार का विवाद भी सम्भव है | साथ ही आपको अपनी माता जी तथा सन्तान के स्वास्थ्य का ध्यान रखने की भी आवश्यकता है | स्वयं भी ड्राइविंग में सावधान रहने की आवश्यकता है | प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी जो लोग कर रहे हैं उन्हें कठिन परिश्रम की आवश्यकता है |

मीन – आपके लिए चतुर्थेश और सप्तमेश होकर बुध आपका योगकारक बन जाता है तथा आपके तृतीय भाव में गोचर कर रहा है | एक ओर जहाँ आपके छोटे भाई बहनों के लिए यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है वहीं दूसरी ओर आपके जीवन साथी के लिए भी यह गोचर भाग्यवर्द्धक प्रतीत होता है | आप स्वयं भी कोई नया घर खरीदने की योजना बना सकते हैं | आपको अपने परिवारजनों का तथा मित्रों का सहयोग प्राप्त होता रहेगा |

ये समस्त फल सामान्य हैं | व्यक्ति विशेष की कुण्डली का व्यापक अध्ययन करके ही किसी निश्चित परिणाम पर पहुँचा जा सकता है | अतः कुण्डली का विविध सूत्रों के आधार पर व्यापक अध्ययन कराने के लिए किसी Vedic Astrologer के पास ही जाना उचित रहेगा |

अन्त में, ग्रहों के गोचर अपने नियत समय पर होते ही रहते हैं – यह एक ऐसी खगोलीय घटना है जिसका प्रभाव मानव सहित समस्त प्रकृति पर पड़ता है | वास्तव में सबसे प्रमुख तो व्यक्ति का अपना कर्म होता है | तो, कर्मशील रहते हुए अपने लक्ष्य की ओर हम सभी अग्रसर रहें यही कामना है…

http://www.astrologerdrpurnimasharma.com/2018/05/26/mercury-transit-taurus/

 

बुध

पीतमाल्याम्बरधर: कर्णिकारसमद्युति: |

खडगचर्मगदापाणि: सिंहस्थो वरदो बुध: ||

आज हम बात करते हैं सोमसुत बुध की | बुध एक सौम्य ग्रह माना जाता है | अन्य ग्रहों की भाँति बुध के विषय में भी अनेक पौराणिक आख्यान उपलब्ध होते हैं | जिनमें एक प्रसिद्ध कथा यह है कि अत्रि ऋषि के पुत्र चन्द्रमा देवगुरु बृहस्पति के शिष्य थे | विद्याध्ययन की समाप्ति पर जब चन्द्रमा ने गुरु को गुरु दक्षिणा देने का निश्चय किया तो गुरु ने आज्ञा दी कि वे गुरुपत्नी तारा को दे आएँ | चन्द्रमा जब गुरुपत्नी को दक्षिणा देने गए तो उनका रूप देखकर मोहित हो गए उन्हें अपने साथ ले जाने की ज़िद करने लगे | गुरु सहित सभी ने बहुत समझाया | पर जब वे न माने तो गुरु ने उन्हें युद्ध के लिए ललकारा | इस युद्ध में भगवान् शिव के सहित समस्त दैत्यों, असुरों, नक्षत्रों, शनि तथा मंगल ने भी बृहस्पति का साथ देने का निश्चय किया और युद्ध आरम्भ हो गया | अन्त में ब्रह्मा जी के हस्तक्षेप से चन्द्रमा ने गुरुपत्नी को वापस लौटाया और युद्ध समाप्त हुआ | किन्तु तारा और चन्द्र के सहवास के कारण तारा गर्भवती हो गईं और उन्होंने समय आने पर एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम बुध रखा गया | यूरोपीय संस्कृति में इसी को Mercury अर्थात पारा कहा जाता है जो एक रोमन देवता है | बुध की धातु पारा ही मानी जाती है, ज्योतिष के अनुसार जो चन्द्रमा के प्रभाव से तरल हो जाती है तथा शनि और मंगल के प्रभाव से ठोस और गुरु के प्रभाव से भारी हो जाती है |

बुध को रूपवान, मधुरभाषी तथा स्पष्टवक्ता माना जाता है | इसका वर्ण हरा है तथा इसे कालपुरुष की वाणी भी कहा जाता है और सभी ग्रहों के युवराज के पद पर सुशोभित किया जाता है | यही कारण है जिन व्यक्तियों का बुध प्रबल होता है उनकी वाणी स्पष्ट तथा मधुर होती है तथा उनके अध्ययन और व्यवसाय का क्षेत्र प्रायः गणित से सम्बन्धित, व्यापार से सम्बन्धित, डॉक्टर या वैद्यक से सम्बन्धित अथवा अध्ययन अध्यापन आदि से सम्बन्धित माना जाता है | बुध त्वचा तथा पृथिवी तत्व प्रधान ग्रह है | साथ ही वायु, पित्त और कफ तीनों गुणों का भी प्रतिनिधित्व करता है | माँसपेशियों का आधिपत्य भी बुध के ही पास है | अतः बुध यदि अच्छी स्थिति में नहीं होगा तो इनमें से किसी भी प्रकार के रोग की सम्भावना जातक को हो सकती है | इसके अतिरिक्त जातक का स्वभाव अकारण ही पारे के समान नरम गरम होता रह सकता है |

बुध मिथुन तथा कन्या राशियों और आश्लेषा, ज्येष्ठा तथा रेवती नक्षत्रों का स्वामी ग्रह है | कन्या बुध की उच्च राशि भी है तथा कन्या राशि का जातक मीठी वाणी बोलने वाला और सबको साथ लेकर चलने वाला माना जाता है तथा समाज में प्रतिष्ठित होता है | मीन बुध की नीच राशि है | सूर्य और शुक्र के साथ इसकी मित्रता है, चन्द्रमा से शत्रुता तथा अन्य ग्रहों के साथ यह तटस्थ भाव में रहता है | यह उत्तर दिशा तथा शरद ऋतु का स्वामी माना जाता है | बुध की दशा 17 वर्ष की होती है तथा एक राशि में यह लगभग एक माह तक भ्रमण करता है |

बुध को बली बनाने के लिए तथा उसे प्रसन्न करने के लिए Vedic Astrologer अनेक मन्त्रों के जाप बताते हैं | जिनमें से कुछ मन्त्र यहाँ प्रस्तुत हैं…

वैदिक मन्त्र :

ॐ उद्बुध्यस्वाग्ने प्रतिजागृहि त्वमिष्टापूर्ते स सृजेथामयं च |

अस्मिन्त्सधस्थे अध्युत्तरस्मिन्विश्वे देवा यजमानश्च सीदत ||

पौराणिक मन्त्र :
प्रियंगुकलिकाश्यामं रुपेणाप्रतिमं बुधम् |
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम् ||

तन्त्रोक्त मन्त्र : ॐ ऎं स्त्रीं श्रीं बुधाय नम: अथवा ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम: अथवा ॐ स्त्रीं स्त्रीं बुधाय नम:

बीज मन्त्र : ॐ बुं बुधाय नम:

गायत्री मन्त्र : ॐ चन्द्रपुत्राय विद्महे रोहिणीप्रियाय धीमहि तन्नो बुध: प्रचोदयात्

बुद्धि और कौशल के प्रतीक बुध सभी के बुद्धि कौशल का विस्तार करें यही कामना है…

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